काम्यवन (कामां)

        काम्यवन ब्रज के बारह वनों में से एक उत्तम वन है। काम्यवन के आस-पास के क्षेत्र में तुलसी जी की प्रचुरता के कारण इसे आदि वृन्दावन भी कहा जाता है। वृन्दा तुलसी जी का ही पर्याय है। श्रीवृन्दावन की सीमा का विस्तार दूर-दूर तक फ़ैला हुआ था, श्री गिरिराज, बरसाना, नन्दगाँव आदि स्थलियाँ श्री वृन्दावन की सीमा के अन्तर्गत ही मानी गयीं। महाभारत में वर्णित काम्यवन भी यही माना गया है, पाण्डवों ने यहाँ अज्ञातवास किया था। वर्तमान में यहाँ अनेक ऐसे स्थल मौजूद हैं जिससे इसे महाभारत से सम्बन्धित माना जा सकता है। पाँचों पाण्डवों की मूर्तियाँ, धर्मराज युधिष्ठिर के नाम से धर्मकूप तथा धर्मकुण्ड भी यहाँ प्रसिद्ध है। यह स्थल राजस्थान राज्य के भरतपुर जिले के अन्तर्गत आता है। इसका वर्तमान नाम कामां है।

        विष्णु पुराण के अनुसार यहाँ छोटे-बड़े असंख्य तीर्थ हैं। 84 तीर्थ, 84 मन्दिर, 84 खम्भे आदि राजा कामसेन ने बनवाये थे, जो यहाँ कि अमूल्य धरोहर हैं। यहाँ कामेश्वर महादेव, श्री गोपीनाथ जी, श्रीगोकुल चंद्रमा जी, श्री राधावल्लभ जी, श्री मदन मोहन जी, श्रीवृन्दा देवी आदि मन्दिर हैं। यद्यपि अनुरक्षण के अभाव में यहाँ के अनेक तीर्थ नष्ट भी होते जा रहे हैं फ़िर भी कुछ तीर्थ आज भी अपना गौरव और श्रीकृष्ण लीलाओं को दर्शाते हैं। कामवन को सप्तद्वारों के लिये भी जाना जाता है।