गोकुल-महावन

कृष्ण जिनका नाम है गोकुल जिनका धाम है

ऐसे श्री भगवान को बारम्बार प्रणाम है॥

        यह पवित्र स्थल मथुरा से 15 किमी की दूरी पर श्रीयमुनाजी के पार स्थित है। यह ब्रज का बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थल है। यहीं रोहिणी जी ने श्री बलराम जी को जन्म दिया। बलराम जी देवकी जी के सातवे गर्भ में थे जिन्हें योगमाया ने कर्षित कर रोहिणी के गर्भ में डाल दिया था। मथुरा में कृष्ण जी के जन्म के पश्‍चात् कंस के सभी सैनिकों को निद्रा आ गयी थी एवं वासुदेव जी की बेड़ियाँ खुल गयी थी। तब वासुदेव जी श्री कृष्ण को गोकुल में नन्दराय जी के यहाँ छोड़ आये। श्री नन्दराय जी के घर लाला का जन्म हुआ है, धीरे धीरे यह बात समस्त गोकुल में फ़ैल गयी। सभी गोपगण, गोपियाँ, गोकुलवासी खुशियाँ मनाने लगे। सभी घर, गलियाँ चौक आदि सजाये जाने लगे एवं बधाइयाँ गायी जाने लगीं। श्री कृष्ण और बलराम जी का पालन पोषण यही हुआ एवं दोनों अपनी लीलाओं से सभी को मुग्ध करते रहे। जहाँ घुटनों के बल चलते हुए दोनों भाई को देखना गोकुलवासियों को सुख देता था तो वहीं माखन चुराकर श्री कृष्ण जी ब्रजगोपिकाओं के दुखों को हर लेते थे। गोपियाँ कृष्ण जी को छाछ का लालच देकर नचाती थीं तो कृष्ण जी बांसुरी की धुन से सभी को मंत्र मुग्ध कर देते थे। भगवान श्री कृष्ण ने गोकुल में रहते हुए पूतना, शकटासुर, तृणावर्त आदि असुरों को मोक्ष प्रदान किया।

        गोकुल से आगे २ किमी. दूर महावन स्थित है। बहुत लोग इसे पुरानी गोकुल मानते हैं। यहाँ चौरासी खम्भों का मन्दिर, नन्देश्वर महादेव, मथुरा नाथ, द्वारिका नाथ आदि मन्दिर हैं।