दर्शनीय स्थल

रावल" ब्रज में सुन्दर रावल ग्रामा, जहाँ प्रकटि प्रिय पूर्व कामा" ।

यह स्थल श्री राधा जी की ननसार है। राधा जी के पिता श्री वृषभानु जी महारज यहाँ पूर्व में निवास करते थे। यहीं श्री राधिका जू का जन्म हुआ। बाद में उनकी माता कीर्ति के कहने पर वृषभानु जी बरसाना ले गये। यहाँ राधाष्टमी पर राधा रानी का जन्मोत्सव धूम धाम से मनाया जाता है।

दाऊजी : बल्देव को ही दाऊजी का गाँव कहा जाता है। इसका पुराना नाम रीढ़ा गाँव है। शेषावतार बलराम जी श्रीकृष्ण के बड़े भाई हैं। इन्हें ब्रज का राजा कहा जाता है। यहाँ श्री बलदेव जी का मन्दिर, दान बिहारी जी का मन्दिर रेवती कुण्ड और क्षीर सागर आदि दर्शनीय स्थल हैं।

ब्रह्माण्ड घाट : यह वही स्थल है जहाँ कृष्ण जी ने माटी खायी थी। और सभी ग्वाल वालों ने यशोदा मैया से उनकी शिकायत की। तो मैया ने लाला कन्हैया को डांटा और पूँछा-  लाला तैने माटी खायी है।" तो लाला ने कहा "मैया मैंने माटी नाय खायी" तो मैया ने कहा अपनौ मूँह खोल के दिखा कि तैने माटी खायी या नाय खायी। जैसे ही कृष्णजी ने अपना मूँह खोला तो यशोदा माँ को उनके मुख में ब्रह्माण्ड, सारा ब्रज, सारा गोकुल नन्दबाबा, सभी ग्वालवाल एवं स्वयं के दर्शन हुए। एवं श्री कृष्ण जी ने यशोदा माँ को अपने विराट रूप के दर्शन कराये। तो मैया यह देख कर चकित हुई और मूर्छित हो गयीं। फ़िर लाला ने उनके इस दर्शन पर माया का पर्दा डाल दिया। अतः इस घाट का नाम ब्रह्माण्ड घाट पड़ गया। यह ब्रज धाम का स्वर्ग कहलाता है।

रमणरेती : गोकुल - महावन के मध्य यमुना किनारे स्थित यह एक रमणीक स्थान है। यहाँ रमण बिहारी जी का मन्दिर है। यह रसखान की तप स्थली रही है, उनकी यहाँ समाधि भी है। ठाकुर जी ने यहाँ ग्वाल वालों के साथ लीलायें की हैं एवं यहाँ की रज में लोट-पोट हुए हैं।

"बालू रेती में लोट-पोट होए यशोदा मैया तेरौ ललना"।

 

लोहवन : मथुरा-गोकुल मार्ग पर यह वन स्थित है। श्री कृष्ण ने यहीं पर गोचारण करते समय लोहजंघासुर का वध किया था। इसीलिए इस वन का नाम लोहवन है। यहाँ कृष्ण कुण्ड, लोहासुर की गुफ़ा तथा श्री गोपीनाथ जी का दर्शन है।